Thursday, December 17, 2009

बेटियां
श्रृष्टि की श्रेष्टतम उपहार
होती हैं बेटियां
माँ की हसरत बाप का दुलार
होती हैं बेटियां
खामोशियों में एक झंकार
होती हैं बेटियां
जो उमीदों को करे साकार वो
होती हैं बेटियां
जिसे हो हर शाम पापा का इंतज़ार वो
होती हैं बेटियां
हर शाम अपनी एक मुस्कान से
उतार दे पापा की हर थकान वो
होती हैं बेटियां
मजधार बीच ज़िन्दगी में एक नाव
होती हैं बेटियां
ज़िन्दगी की तपती दोपहरी में
बरगद सरीखी छाओं
होती हैं बेटियां
गर बेटे जो हों नश्तर तो मरहम
होती हैं बेटियां
हर मुसीबतों में तैयार हरदम
होती हैं बेटियां
बुलंदियों में परचम
होती हैं बेटियां
तनहाइयों में छम छम
होती हैं बेटियां

राज रंजन

2 comments:

  1. "बुलंदियों में परचम
    होती हैं बेटियां
    तनहाइयों में छम छम
    होती हैं बेटियां"
    लाजवाब प्रस्तुति

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  2. beautiful poem.kaash.....betiyo ke liye sabke khyalat itne hi sunder hote.

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