Thursday, October 28, 2010

माँ का प्यार

एक शाम करीब 8-9 साल का एक बच्चा अपनी माँ के पास आया, जो रसोई में रात के खाने की तैयारी में लगी थी, उसे उसने एक क़ाग़ज का टुकडा पकडाया जिसमें उस ने कुछ लिख़ कर दिया था। मम्मी ने अपने साडी पर बंधे एप्रन में हाथ पोछा और फिर पढ़ना शुरू किया। उस में जो लिखा था वो इस प्रकार था :……।
पूरे हफ़्ते अपने कमरे की सफ़ाई की …………… रू 15/-
पूरे हफ़्ते बगीचे मे पानी पटाया …………… रू 15/-
पूरे हफ़्ते बनिए की दुकान से सामान लाया … रू 20/-
पूरे हफ़्ते कचरे को बाहर फेका ……………………रू 20/-
तुम्हारे बाज़ार जाने पर छोटे भाई के पास बैठा…रू 50/-
अच्छा रिपोर्ट कार्ड लाने के लिए ………………… रू 35/-
कुल मेहनताना ……………………………………… रू 155/-

माँ अपलक अपने बच्चे को निहारने लगी जो पास ही खडा था और वो बच्चा अपनी माँ को कुछ भूली बिसरी यादों में विचरता देख रहा था। अचानक माँ ने एक क़लम उठाया, उस कागज के टुकडे को पलटा और लिख्नना शुरू किया। माँ ने जो लिखा वो इस प्रकार था …………

उन 9 महीनों का मेहनताना जब तुम मेरे अन्दर पल रहे थे ………………

"मैंने नहीं मांगा"
उन सारी रातों का मेहनताना जब तुम बीमार थे और मैं सारी रात तुम्हारे साथ रही, तुम्हारी सेवा की और ईश्वर से प्रार्थना की……
"मैंने नहीं मांगा"
तुम्हारी वजह से और तुम्हारे लिए बहने वाली हर आँसुओं की कीमत ………
"मैंने नहीं मांगा"
उन सारी रातों की कीमत जो भविष्य की चिन्ता और भय से भरी पड़ी थी…
"मैंने नहीं मांगा"
उन खिलौनों, कपड़ो और तुम्हारी ज़िद पूरी करने की कीमत, साथ ही तुम्हारी पौटी और नोज़ी साफ करने का मेहनताना …………
"मैंने नहीं मांगा"
मेरे बेटे जब तुम इन सब को जोडोगे तो पाओगे कि मेरे प्यार की कीमत…
"मैंने नहीं मांगा"

जब बच्चे ने पढ़ना समाप्त किया, जो उसकी माँ ने लिखा था, अपनी माँ से लिपट कर, उसने बड़ी बड़ी आँसुओं से भरी आँखों से माँ को देखा और भरे गले से बोला “ माँ मै भी तुम से बहुत प्यार करता हूँ। और उस ने कागज के उस तरफ़, जिधर उस ने लिखा था, बड़े बड़े अक्षरोँ मे फिर लिखा
“पूरा भुग़तान पाया RECEIVED IN FULL”

राज रंजन

1 comment:

  1. love and caring have no value which mthers give but else are countable

    ReplyDelete