प्यार और दुलार भरा उपहार
ये कहानी बहुत दिन पुरानी है। एक व्यक्ति ने अपनी 5 वर्ष की बच्ची को सिर्फ़ इस लिये सज़ा दी कि उस ने कीमती सुनहरे रैपिंग पेपर को क्रिश्मस ट्री मे रखने के लिए छोटे उपहार बक्स को सजाने की कोशिश में बर्बाद कर दिया था। फिर भी अगले दिन उस बच्ची ने अपने पिता को वो उपहार दिया और बोली “ ये आप के लिए है डैडी !”
वो व्यक्ति अपने अनावश्यक व्यवहार पर बहुत लज्जित हुआ, पर उस का गुस्सा और भी भडक गया जब उस ने उस उपहार बक्स को खाली पाया। वो अपनी नन्ही बच्ची पर चिल्ला उठा और बोला “ तुम्हे मालूम नहीं कि जब किसी को कोई उपहार बक्स देते हैं तो उस में कुछ न कुछ होना ही चाहिए न कि वो ख़ाली हो।” बच्ची ने आँखों में आँसू लिये अपने पापा को निहारा और रोते रोते बोली “ ओ डैडी ये बिल्कुल खाली नहीं है, इसमें मैं ने अपना ढेर सारा प्यार, ढेर सारा दुलार और अनगिनत अपनी मिट्ठियाँ / पप्पियाँ ( kisses) डाली हैं और वो सब आप के लिए है।”
पिता शर्मिन्दगी से टूट गया । उस ने अपनी बेटी को गले लगाया और उस से क्षमा मांगने लगा।
फ़िर कुछ दिनो बाद एक सडक दुर्घटना में उस बच्ची की मौत हो गई। कहते है उसके पिता ने सुनहरे पन्नों से लिपटे उस उपहार बक्स को बरसों अपने बिस्तर पे अपने साथ रखा । जब भी वो हतोत्साहित और उदास होता वो उस बक्स से अपनी बेटी की काल्पनिक मिट्ठियों को चूमता था और उस प्यार और दुलार को याद करता था जो उस की बेटी उस बक्स मे सहेज कर छोड गई थी।
वस्त्विक तात्पर्य है कि हम में से सभी, जो मानव योनी में ईश्वर द्वारा निर्मित हैं, को, ईश्वर द्वारा वो सुनहरा पात्र प्रदान किया गया है जिसमें अपने बच्चों, परिवार के सदस्यों, मित्रों और परम पिता परमेश्वर का ढेर सारा प्यार, ढेर सारा दुलार और न जाने कितनी मिट्ठियां भरी पडी हैं। और कोई भी इससे ज्यादा अनमोल सम्पत्ति की चाह नही कर सकता है।
राज रंजन
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