Sunday, October 17, 2010

औरतें क्यूं रोती हैं?

सब से पहले ब्रह्मांड के समस्त भाइयों और बहनों को विजयादशमी की अनन्त शुभकामनाएँ। क़ाफ़ी दिनों के बाद हाज़िर हूँ अपनी नई रचना के साथ। रचना पसन्द आए तो आप के आशिर्वचनों का प्रतीक्षित : राज रंजन
प्रस्तुत है नई रचना …………



औरतें क्यूं रोती हैं?

एक नन्हे से बच्चे ने अपनी मां से पूछा “ तुम क्यूं रो रही हो?”
“क्यूं कि मैं एक औरत हूं ” मां ने सीधा सा जबाब दिया !
“ मैं कुछ समझा नहीं ” मां ने उसे सीने से लगा कर कहा “ और तुम समझोगे भी नहीं ”
बाद में बच्चे ने अपने पिता से पूछा “ मेरी मां क्यूं बिना कारण रोती रह्ती है? ”
“ सभी औरतें बिना कारण ही रोती रह्ती है? ” पिता के पास बस इतना सा ही जबाब था !
बच्चा फिर बालिग हुआ और पुरुष बना, फिर भी वो आश्चर्यचकित था और समझ न सका कि औरतें बिना कारण क्यूं रोती है? और उनकी आंखें क्यूं इतनी जल्दी भर जाती हैं?
अंततः उसने ईश्वर को फोन लगाया, जब ईश्वर फोन पे मिले उसने उनसे वही सवाल दोहराया “ हे ईश्वर औरतें क्यूं इतनी जल्दी रो पडती हैं ?”
विधाता बोले “ जब मैं ने औरत की रचना की तो उसे तो विशेष होना ही था। मैंने उसके कंधों को इतना मजबूत बनाया कि वो विश्व का भार उठा सके साथ ही इतना हल्का कि वो दूसरों को आराम दे सके। मैंने उसे एक आंतरिक शक्ति दी जो बच्चे को जन्म देने और ज्यादातर बडे होने पर उनसे मिलने वाली तिरस्कार की पीड़ा को झेल जाए। मैं ने उसमें इतनी कठोरता डाली है जो उसे मुसीबतों में लगातार चलते रहने को प्रेरित करता रहता है जब सब अपने मुंह मोड लेते हैं। वो बिना शिकायत किए अपने परिवार की बीमारियों एवं थकान में बस सेवा किए जाती हैं। उसे हमने इतनी संवेदनशीलता दी है कि वो किसी भी और हर परिस्थिति में अपने बच्चों को बस भरपूर प्यार देती जाए, तब भी जब उसके बच्चे उसे बुरी तरह से प्रताड़ित करते हों। मैंने उसे शक्ति दी कि अपने पति की गलतियों में भी उसका साथ दे। उसकी रीढ़ में ऐसी बनावट दी कि उसके दिल की हमेशा हिफ़ाजत कर सके। मैं ने उस में इतनी बुद्धिमत्ता दी कि वो जान सके कि एक अच्छा पति कभी अपनी पत्नी को तकलीफ़ नहीं देता है पर कभी कभी उसकी शक्ति एवं निश्चय की परीक्षा भी लेता है ताकि वो बिना विचलित हुए उसका हर पल साथ दे। अंत में मैं ने उसे आंसू दिए बहाने को पर वो भी तब जब सच में उसकी जरूरत हो।”
“ देखो मेरे बच्चे ” ईश्वर कहते गये “ औरत की खूबसूरती उसके कपड़े में नहीं जो वो पहनती है, उसकी केश सज्जा में नहीं जिसे वो सजाती रहती है, उस के रूप में नहीं जिसे वो सँवारती रहती है।”
“औरत की खूबसूरती उस की आंखों में देखनी चाहिए क्यूंकि आंखे उस मार्ग का प्रवेश द्वार है जो दिल / ह्र्दय तक पहुंचाता है जहां प्यार बसता है, निवास करता है।


राज रंजन

2 comments:

  1. काफी ही बढ़िया विश्लेषण किया है , ईश्वर ने जो कहा- उस अनुभूति को आपने गूढ़ अर्थ दिए हैं

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  2. vry well said mama app ne bhut acha likha hai

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