Sunday, April 24, 2011

एक ही दिशा

हिन्दु, मुस्लिम, सिख इसाई
चारो ही भारतीय
एक सुबह, दिखा
एक सुखद चमत्कार
संम्भवतः: पहली बार
वे चारो ही एक साथ
कन्धे से कन्धा मिलाए
जा रहे थे
एक ही दिशा

दुश्मन देख घबड़ाए
ऍसी एकता?
कहीं हमला ना कर दे?
नेता सोच घबड़ाए
ऍसी देश भक्ति
कहीं सरकार ना गिरा दें?
आतंकवादी घबड़ाए
ऍसा संगठन
कहीं हमे साफ न कर दें?
जमाखोर सोच सोच घबड़ाए
ऍसी एकजुटता
कहीं भन्डाफोड़ न कर दें?
तथाकथित धर्मगुरु घबड़ाए
ऍसी एकविचारिता
कहीं पोल न खोल दें?
अपराधी, भ्रष्ट अधिकारी घबड़ाए
ऍसा मिलाप
कहीं हमें मिटा न दें?
टूटने लगे सारे भरम
हर तरफ़ होने लगा
माहौल गरम
तभी इन सभी लोगों के
होठों पे मुस्कुरहट छाई
जब सच्चाई सामने आई
कि
एक अन्धी बुढ़िया का
एक मात्र सहारा
उसका अकेला बेटा
आतंकवादियों की
गोली से मारा गया
और ये चारों
अपने अपने कौम
का
झंडा बुलन्द करने
उस बेचारे के अस्थिफूल लेने
जा रहे थे
शमशान की ओर
कन्धे से कन्धा मिलाए
पहली बार, एक साथ
एक ही दिशा

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