Sunday, April 24, 2011

बयान

कहते हैं,नारी ने श्रीष्टि की,
और प्रगति की राह दिखाई है
पर इस प्रगति की राह पर,
आज स्त्री की सत्ता और महत्ता ने,
किस कदर चोट खाई है
इस सुजलाम सुफ़लाम,
मलयज शीतलाम,
धरती पर नारी,कभी रूपवती थी
कभी विधवा तो,कभी सती थी
पर आज वो बन गई है,
एक खिलौना,
बाज़ार में बिकने वाली एक चीज
और रात का बिछौना
एक गांव की एक बुढ़िया पर
हुआ ज़ुल्म और अत्याचार,
उसकी जवान बेटी के साथ
किया चार लोगों ने बलात्कार
सारे गांव में कोई न समझा
उन दोनो का दर्द
एक फ़ैसला किया सर्द
उल्टा लडकी पर ही बदचलनी का
लगाकर इलज़ाम
दिया गांव से दोनो को निकाल
अपनी पीड़ा न कोई
दूजा जाने
गाथा कहने बुढ़िया
पहुंची थाने
बयान दर्ज़ कर सिपाही ने
थानेदार से मिलवाया
उसने भी बयान ले कर
कोर्ट मे केस चलाया
सुनवाई के दिन वकील ने कहा
“ऐ लडकी, जज साहब को
अपना बयान दर्ज़ कराओ”
लडकी घबड़ाई और जज साहब से बोल पडी
“सबके सामने?”
“हां हां” जज साहब ने कहा,
“नि:संकोच हो कर अपना बयान दो”
भरी भरी आंखों के साथ,
लडकी लगी अपने कपडे उतारने
ऐसा देख जज साहब,
लगे चिल्लाने
“ऐ लडकी ये क्या करती है?”
रोते रोते लडकी बोली
“ हुज़ूर माई बाप,पहले सिपाही,
फिर थानेदार
और फिर आपके वकील साहब ने
ऍसे ही बयान दर्ज़ किया था

No comments:

Post a Comment