एक कोमल उमंगों भरा सपना लिए
अपनी ही धुन में जिए जा रहा था
साहिल पे बना के रेत का महल
लहरों से दूर उसे किए जा रहा था
एक ऐसी दुनिया के सपने संजोता था
जो वास्तविकता से बिल्कुल परे था
ना नफ़रत का नाम था जिसमें
ना ही संघर्षों से जीवन भरा था
अब जब ज़िंदगी का असली रूप सामने आता है
तो लगता है झुठे घरौंदों के तिनके
मोती की तरह इकट्ठे किए जा रहा था
एक कोमल उमंगों भरा सपना लिए
अपनी ही धुन में जिए जा रहा था
साहिल पे बना के रेत का महल
लहरों से दूर उसे किए जा रहा था
_______________राज
बहुत खूबसूरत नज़्म .. साहिल पर महल बनाना और लहरों से दूर करना .. सुन्दर अभिव्यक्ति
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