पापा,
अगले बरस मैं, पिन्ड्दान करने, गया, नहीं जाउंगा
मुझे मालूम है आप हमें छोड कर जा नहीं सकते
आप के चले जाने की सच्ची ख़बर
जिसने भी उड़ाई है
वो सब झूठे हैं
वो आप न थे
जब मेरी बांहों में, हिचकी रुक सी गयी थी
वो तो कोई सूखा पत्ता, हवा से हिल के टूटा था
मेरे नयन उन द्रिष्यों में छटपटाते हैं अब तक
फिर भी लोग कहते हैं __________
वो सब झूठे हैं
कहीं कुछ भी नहीं बदला
मैं जो भी देखता था सोचता था वो सब वहीं है
आपका जो मान सम्मान था वो अब भी वहीं है
हवाएं अब भी थपेड़ों में चला करती हैं
बारिश अब भी पलकों पे आए सपनों को भिंगोया करती है
फिर भी लोग कहते हैं __________
वो सब झूठे हैं
कहीं कुछ भी नहीं बदला
लडखडाते क़दमों से, आज भी आप, रोज़ मौर्निंग वाक करते हैं
आप के कांपते हाथ, मेरी उंगलियों सांस लेते हैं
मेरे कन्धे, आज भी, आप के झुके कन्धों का भार महसूस करते हैं
लरजते होठों से “सुनो” की आवाज़ हर तरफ़ गूंजती है
खाने की मेज़ पर, “बस” और “अब नहीं” की सदा ख़ामोशियों में मुंह छुपाती है
फिर भी लोग कहते हैं __________
वो सब झूठे हैं
मैं, लिख़ने के लिए, जब भी कागज कलम उठाता हूं
आप को बैठा हुआ अपनी ही कुर्सी पे पाता हूं
इस शरीर में जितना लहू है
वो आप की आशीषों के सहरे बहता रहता है
जब भी परेशां हो कर निढाल होता हूं
सर पे अपने, आप के, हाथों को मेहसूस करता हूं
फिर भी लोग कहते हैं __________
वो सब झूठे हैं
मेरी आवाज़ में छुप कर, आप की दुनियां बसा करती है
मेरी बीमारियों में आप , मेरी लाचारियों में आप
आप के कमरे से आती हवाएं आपका एहसास कराती हैं
बिस्तर की सिलवटें भी हमेशा ये ही बताती हैं
घर का हर इन्सान आप को अपने में समेटे है
आप को हर पल अपनी ज़िंदगी में लपेटे है
फिर भी लोग कहते हैं __________
वो सब झूठे हैं
फिर मैं पिंडदान क्यूं करूं
क्यूंकर हवन पूजन करूं
क्यूंकर लबालब अपने नयन करूं
मैं जानता हूं आप हम से दूर जा नहीं सकते
आप हो, आस पास हो, हरपल, हर सांस हो
आप के आशीषों के सहारे ज़िंदगी कट ही जायेगी
फिर भी लोग कहते हैं __________
वो सब झूठे हैं
ब________स सब झूठे हैं
झूठे हैं
स_______ब झूठे हैं
ॐ राज रंजन ॐ
mama its very nice !!!!!!!!!
ReplyDeleteEvrytime i read this poem of yours, my eyes are filled tears and Chhote Baba's image appears . I must say it is the best way of keeping Chhote baba alive in our lives forever and ever .
ReplyDeletebahut hi gahre bhav bhare hain..........aabhar.
ReplyDeleteisse badhker koi tarpan nahin
ReplyDeletejo saath hain
unke liye haan bilkul gaya mat jana
her kamre mein bahti upasthiti ko dekhna
aur un usulon per chalna
yahi hai aadar
बेहतरीन रचना, बहुत शुभकामना!
ReplyDeleteयदि आपका ब्लॉग ब्लोग्वानी और चिठाजगत पर पंजीकृत नहीं है तो कर लें, जिससे की ज्यादा लोग आपको पढ़ सकेंगे!
ReplyDeleteshabd nahi hai mere pass tarif ke liye.fufaji aakho ke samne aa gaye........thanku
ReplyDeletesir I have forgotten my email id through which i use to enter my dash board. My blog id is "kdnyk.blogspot.com" i m unable to post any new article in my blog. please help me
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