Saturday, August 14, 2010

विश्व के हर कोने में बसे हर भारतीयों को स्वतंत्रता दिवस की अनन्त शुभकामनाएं। इस अवसर पर हर भारतीयों को समर्पित है ये रचना।

शायद उनके लिये सिर्फ़ आप पूरी दुनियाँ हों

एक बार अपने घर को नया रूप देने के लिये एक व्यक्ति ने घर के एक दीवार को तोड दिया। सामान्यतः घरों में लकडी की दीवारों के बीच में कुछ जगह छोडी रहती है। लकडी की दीवारों को चीर कर तोड रहा था तो उसने पाया कि एक छिपकली उस दीवार से चिपकी पडी है क्योंकि उसके एक पैर में दीवार की दूसरी तरफ़ से किसी ने एक कील ठोक दिया था। उसे इस परिस्थिति में देख वो बहुत दुखी हुआ साथ ही साथ वो इस बात से आश्चर्य चकित था कि वो कील तो दस साल पहले ठोकी गई थी जब घर पहली बार बन रहा था।
क्या हो गया था ?
वो छिपकली उसी परिस्थिति में भी दस साल तक जिंदा बची रह गई ?
दो दीवारों के बीच अंधेरी जगह में बिना हिलेडुले और वो भी दस साल तक ? असम्भव ! उसका दिल और दिमाग इस सच्चाई को स्वीकार करने को असमर्थ था। वो इस बात से हैरान और परेशान था कि एक पैर में कील ठुके होने के बावजूद वो छिपकली दस साल तक कैसे जीवित रह पाई।
उसने अपना सब काम रोक दिया और बहुत ध्यान से उस छिपकली को निहारने लगा कि ये क्या करता है ? मन में सवाल उठ रहा था कि ये क्या और कैसे खाता है? या फिर बिना खाये ही,,,,? थोडी देर बाद ना जाने कहां से एक दूसरी छिपकली वहां आई अपने मुंह में इस छिपकली के लिये खाना लिये।
आह! वो आदमी तो मानो जड हो गया और इस द्रिष्य ने उसके अंतरमन तक को झकझोर दिया। एक छिपकली जिसके एक पैर में कील ठुकी थी उसे एक दूसरी छिपकली पिछले दस सालों तक खाना खिला कर जिंदा रखा।

कल्पना कीजिये। वो छिपकली पिछले दस सालों से ये सब रोज सुबह शाम बिना थके और बिना उम्मीद छोडे अपने जीवन साथी की जिंदगी के लिये बस किये जा रही थी।

ज़रा सोचिए! भगवान की बनाई इस दुनियाँ में एक छोटा सा किडा वो सब कर रहा था जो इस दुनियाँ में तेज दिमाग जैसे आशीर्वाद से युक्त मनुष्य नहीं करता है।

ईश्वर के लिये अपने प्यारों और चाहने वालों को कभी भी अपने से अलग ना करें। कभी भी उन्हें यह ना कहें कि आप व्यस्त हैं जब उन्हें सचमुच आपकी जरूरत हो।

भले ही पूरी दुनियाँ आपके कदमों में हो पर हो सकता है सिर्फ़ आप उनके लिये पूरी दुनियाँ हों।

तिरस्कार का एक क्षण उस दिल को तोडने के लिये काफ़ी है जिसने हर दुखसुख में आपको सिर्फ़ प्यार किया है।

कुछ भी वाणी से निकालने से पहले विचार कर लें क्योंकि तोडने के लिये एक क्षण काफी है पर बनाने के लिये पूरा जीवन भी है कम……………।

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